शाप में तेरे छुपे वरदान मेरे

शाप में तेरे छुपे वरदान मेरे

शाप में तेरे छुपे वरदान मेरे
चल रहा हूँ पर
न मंजिल का पता है
प्यार का कंटक–
भरा यह रास्ता है
बढ़ रहे फिर भी
चरण अनजान मेरे
शाप में तेरे छुपे वरदान मेरे
घिर रहीं काली घटाएँ
फिर गगन में
दर्द मीठा हो रहा
क्यों इस जलन में
पूर्ण होंगे क्या
कभी अरमान मेरे
शाप में तेरे छुपे वरदान मेरे
खुल खिलेगा एक दिन
दिल का सुमन यह
हँस उठेगा एक दिन
उजड़ा चमन यह
पा तुम्हें लेंगे
किसी दिन प्राण मेरे
शाप में तेरे छुपे वरदान मेरे


Image: A Common Indian Nightjar (Caprimulgus asiaticus)
Image Source: Wikimedia Commons
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