आई याद तुम्हारी।
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/aayi-yad-tumhari/
- 1 May, 1964
आई याद तुम्हारी।
उड़ा श्वेत कलहंस स्नेह का–
लेकर याद तुम्हारी।
आई याद तुम्हारी।
अंग अंग कुसुमित कामद स्वन,
सुरभि सुवासित कण-कण पल-पल,
सुधि के पथ चल प्राण पहुँचते
मिलन विकल साँसों की हलचल
नयनों की आरती जली है–
सज कर याद तुम्हारी!
उन्मन-उन्मन आकुल अंतर,
रंजित स्वप्न सुवासित चंदन,
तुम आओ नाचे मन का मृग–
स्नेहार्चित पुलकित अभिनंदन!
वंदनवार सजाये दृग ने
रच-रच याद तुम्हारी!
ज्योति पर्व, मधु-दीपित क्षण यह,
मुखरित गीतायन का यौवन,
दीपक राग बजे वीणा पर
मादक निक्वण का मधु यौवन!
बीते दिन की मधुर बात से–
मह मह याद तुम्हारी!
आई याद तुम्हारी!
Image: An Indian Girl with a Hookah by Francesco Renaldi
Image Source: Wikimedia Commons
Image in Public Domain