मस्जिद और मंदिर
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- 1 August, 2020
मस्जिद और मंदिर
पंछियों के पंखों पर लिखी
आज़ादी की सबक को पढ़ना सीखेंगे
घड़ी की सुइयों में
छुपाकर रखे समय को
ढूँढ़ने की कोशिश करेंगे।
छायाओं में छुपी सच्चाइयों को
परखने का तरीका समझेंगे
इंसान के चेहरे पर है जो मौन समुद्र
उसमें डूबकर बहार लेंगे
सच्चाई के सीपों को।
एक दूजे पर
फकीर को मंदिर और
मंदिर को इंसान कैसे बनाना है
यह जान लेंगे कुम्हार की चाकी से
तेरे मेरे खून के कतरों की कसम
एक साथ सोए बिस्तरों की कसम
जवानी की खुशबुओं की कसम
दोनों के एक होने के पलों की कसम
प्यारी! ओ मेरी प्यारी!!
अपने बदन से बाहर आए
बच्चों की कसम
शूल भाले खंजरों से भरी
सभ्यता के तहस-नहस होने की कसम
एक पल के लिए जी लें इंसानों की तरह
अगले पल मर भी जाएँ तो
कोई बात नहीं
‘प्यार ही तो है
इस संसार के लिए जरूरी साधन’
यह घोषणा करने के लिए
मस्जिद और मंदिर की तरह नहीं
इंसानों की तरह
करते ही रहेंगे कोशिश।
Image: Souvenir From Turkey From Asia – Children Playing With A Turtle
Image Source: WikiArt
Artist: Alexandre-Gabriel Decamps
Image in Public Domain