वोटर
- 2 February, 2015
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- 2 February, 2015
वोटर
माननीय सांसदों, विधायकों, नेताओं,
सबके चहेते महामहिम अपराधियों!
आप सबके प्रति
मैं आभार प्रकट करता हूँ
धन्यवाद देता हूँ
आप सबको मेरी और
मेरे देश की गरीबी की
बड़ी चिंता रहती है
आप जब भी बोलते हैं
मुख्य विषय हम गरीब ही होते हैं
आप सभी हमारे बारे में सोचते हैं
हमें देखते, तौलते, झेलते हैं
हमारी एक-एक समस्या पर बोलते हैं।
आप हमें बार-बार संबोधित करते हैं
समझाते हैं देश को
हमारी कितना जरूरत है
कितना लाजिम है अगर आदमी के
रूप में नहीं
तो कम-से-कम ‘वोटर’ के रूप में
हमारा जिंदा रहना
एक-एक वोट पर बिछी रहती हैं आपकी आँखें
कैसे बढ़ जाती है आपकी धड़कन
कैसे खिल जाती हैं बाँछें
वोट देने के लिए ही सही
हम जिंदा रहना चाहते हैं
चुनाव बार-बार आये
आप हमारे दरवाजे पर आएँ
हम आपके स्वागत में
वंदनवार सजाएँ
यमराज से मोहलत लेकर भी
अपनी उँगलियों पर
काले निशान लगवाएँ
पर ऐसा हो कहाँ पाता है
यह जर्जर शरीर भी
आँख, आँत, गुर्दे की खांतिर
लूट लिया जाता है
हमसे ही चलाते हैं अपना व्यापार
आपके सिपहसालार
हम बदनसीब
आपके क्षेत्राधिपतियों की प्रजा हैं हुजूर
आप हमारी परवाह न करें
क्या मजाल कि भय और मृत्यु के बीच भी
हम आहें भरें
रखें आप आतंक अपहरण हत्या बरकरार
सबमें आपकी ही आत्मा है सरकार
आप हमारे शुभचिंतक हैं
या तो हमें स्वर्ग में रखते हैं
अथवा उन नरकों में भेज देते हैं
जहाँ हमारे स्वजन परिजन
आपके पूर्वजों की सेवा में लगे रहते हैं
पिछले जलसे में
आपने हमारी खुशहाली की
बात छेड़ी थी
हम गड्ढों से निकालकर
सड़कों पर पहुँचा दिये जायेंगे
राशन, पानी, स्कूल, किताब,
अस्पताल, दवा
आप हमारे लिए जुटायेंगे
हमारे लिए अलग से न्यायालय बनेगा
हमें सामाजिक न्याय मिलेगा
न पुलिस हमें फर्जी मामलों में फँसायेगी
न आपके मददगारों की ‘देन’
हमें घर से उठा ले जायेगी।
कितना अच्छा लगा था सब सुनकर
हमने कितनी तालियाँ बजायी थीं
मरने से पहले तक
आपका साथ देने की
कसमें खायी थीं
आप सब समझते हैं हुजूर
बार-बार एक ही रट क्या लगायें
बस इतनी-सी आग बची रहने दें
हमारी देह बर्फ न बन जायें!
Image: Musings
Artist: Anunaya Chaubey
© Anunaya Chaubey