गोर्की-जेलों में !
- 1 July, 1953
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- 1 July, 1953
गोर्की-जेलों में !
“दो सिर वाला गरुड़ जो स्वेच्छाचारी शासन का राजचिह्न है, वह न केवल साम्राज्य का शस्त्रों का कोट ही है वरन् वह एक सजग और सक्रिय मारक पक्षी भी है !”
–गोर्की
गोर्की की प्रसिद्धि इतनी अधिक बढ़ी कि ज़ार सरकार के लिए वह चिंता का एक उद्गम बन गई।
अधिकारियों ने यह महसूस किया कि गोर्की उनका भयंकर शत्रु है। युवक लेखक और ज़ार की सरकार के बीच खुला युद्ध आरंभ हो गया जो आगे 20 वर्षों तक जारी रहा।
टिफलिस में एफेनेसेव नामक एक क्रांतिकारी मजदूर पकड़ा गया। पुलिस ने जब उसके मकान की तलाशी ली तो वहाँ एक ऐसा फोटो मिला जिस पर लिखा था–“प्यारे फीद्या एफेनेसेव को ! मैक्सीमिच की स्मृति के लिए !”
फौजी अफसर मैक्सीमिच का पता लगाने में सफल हुए।
गोर्की को निज़्नीनोव गोरोड में गिरफ्तार किया गया और उसे टिफलिस भेज दिया गया। वहाँ उसे मेटेख कैसल–जो खास तौर से राजनीतिक कैदियों के लिए ही सुरक्षित था–में बंद किया गया।
जेल में चहल-कदमी करते हुए गोर्की सोचने लगा कि इसी खास जेल में उसे क्यों बंद किया गया है ? जेल की दृढ़ दीवारों की खिड़कियों में से बाहर के दृश्य दिखाई दे रहे थे–क्यूरा नदी का गंदा पानी और उसके किनारे पर स्थित लकड़ी की गैलरी के मकान।
कुंजियों के गुच्छे को बजाता हुआ वार्डर गोर्की के कमरे के बरामदे में एक कोने से दूसरे कोने तक घूमता हुआ पहरा दे रहा था। जब वार्डर को क्रोध आता तो वह गोर्की की तरफ मुँह करके जोर से चिल्लाकर कहता–“क्या तुम्हें यहाँ और दस साल तक सड़ना है ?”
यदि फौजी अफसर गोर्की को एफेनेसेव के मामले में फँसाने में सफल हो जाते तो वार्डर की इच्छा पूरी हो जाती और गोर्की को मेटेख कैसल में ज्यादा अवधि तक जेल काटनी पड़ती। लेकिन, उसके सौभाग्य से अफसरों को उसके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिला।
गोर्की वहाँ से छूटकर निज़्नी नोवगोरोड आ गया। यहाँ उस पर पुलिस के द्वारा सख्त निगरानी रखी गई। गोर्की के लकड़ी के दोमंजिले मकान में रोजाना नए-नए आदमी चक्कर काटते। उनमें से एक तो बेंच पर सारे दिन बैठा रहता। वह लोगों को यह बताने की चेष्टा करता कि वह आवारा है और पागलों की तरह आकाश को देखा करता है। दूसरा एक लालटेन के खंभे के नीचे इस बहाने से घंटों खड़ा रहता कि वह बड़े गौर से अखबार का मजमून पढ़ रहा है। ड्रोज़्की का ड्रायवर गोर्की के मकान के सामने ही घंटों गाड़ी खड़ी रखता और अजीब ढंग के आचरण करता। वह हमेशा इस बात के लिए उत्सुक रहता कि गोर्की या उसके किसी भी मिलने वाले को बिना किराया लिए ही गाड़ी में बैठाकर जहाँ वे जाना चाहें ले जाए। वह ड्रायवर दूसरी कोई सवारी लेता ही नहीं था।
यह आकाश की ओर ताकने वाला, अखबार पढ़ने वाला और ड्रोज्की (Drozhky) ड्रायवर वास्तव में जासूस थे जो इस वेश में गोर्की के मकान के सामने खड़े रहते और गोर्की तथा उसके मिलने आने वालों की हर गतिविधि पर निगरानी रखते थे।
यह कोई सरल कार्य नहीं था। गोर्की के पास आने वाले लोग कम नहीं थे। उसके अध्ययन-कक्ष में–जिसमें वैसनेट सोव तथा लेवीटन के कैनवास पर बने हुए चित्र लटक रहे थे–सभी कार्यक्षेत्र के व्यक्ति–अभिनेता, फोरमैन, कलाकार, विदेशी, यात्री, कॉलेज के लड़के और लड़कियाँ, व्यापारी आदि–सभी रोजाना आया करते थे।
निज्नी नोवगोरोड से लिखे गए अपने एक पत्र में गोर्की ने लिखा था–
“तरह-तरह के लोग मुझ से रोजाना मिलने आया करते हैं। कोई मुझ से पुस्तक माँगता है और कोई कविता में उलझा देता है। टाइप रायटर सुधारने वाला एक कारीगर रोजाना मुझे प्रणाम करने आता है; यह निर्वासन से अभी मुक्त हुआ है। और एक वाइस गवर्नर की औरत आती है जो अपने साथ गैर-कानूनी पर्चों का ढेर लाती है। एक मछुए की बीबी भी आती है जिस पर शीघ्र ही मुकदमा चलने वाला है और इसके बाद स्थानीय तोपखाने का एक जनरल आता है जो अपने आदमियों के लिए नाटकशाला को व्यवस्थित कराना चाहता है। बगरोव व्यापारी मुझे इसलिए आमंत्रित कर रहा है कि मैं उससे दिल खोल कर ईश्वर पर वाद-विवाद करूँ। शेमेलिंग–नाटक-कल्ब का अध्यक्ष और एक मजबूत आदमी–जिसने मुझे गए साल सुबह का कोट न पहिनने के कारण क्लब से बाहर निकाल दिया था, मुझ से निवेदन करता है कि मैं उन महिलाओं को समझाइश दे दूँ जो उसका कहना नहीं मानती हैं। मैं इंकार तो किसी को भी करता ही नहीं। वाइस गवर्नर की सदिच्छा के परिणाम स्वरूप टाइप रायटर सुधारने वाला गुबेरनिया टाइप रायटर की दूकान पर नौकर रख लिया गया है। वहाँ वह मजदूरों का एक संघ स्थापित करेगा। बरगोव किताबों के लिए मजदूरों को पैसा देगा। मैं हमेशा ही स्त्रियों को समझाइश देने के लिए रजामंद हूँ और इसके बदले में शेमेलिंग मछुए की स्त्री को एक सरकारी ड्रेस बनाने वाले की दूकान खोलने में मदद देगा। मैं जनरल की नाटकशाला को संगठित कर दूँगा और इसके एवज में वह रायडिंग स्कूल का मैदान क्रिसमस के लिए बिना किराये से मुझे देगा और साथ ही गायक-मंडली भी।”
गोर्की निज्नी नोवगोरोड के गरीब बच्चों के लिए क्रिसमस पार्टी की सोच रहा था। वह उन बच्चों को सच्ची छुट्टी देना चाहता था। उसके कमरे बच्चों के इनाम की चीजों के संदूकों और आलमारियों से भरे पड़े थे। उसके कमरे में चारों तरफ कपड़ों के रूल पड़े थे जो चतुर उँगलियों द्वारा कमीजों के रूप में परिवर्तित हो रहे थे।
गोर्की इन तैयारियों को बड़े आनंद से साथ देख रहा था।
क्रिसमस का झाड़ बड़ा विशाल था जिस पर हरा रंग किया गया था और उस पर बेशुमार रंगीन बिजली की बत्तियाँ लगाई गई थीं। करीब 500 बच्चे एकत्रित हुए। सभी गंदे और गंदे मकानों से आए थे। बे घर-बार का एक दल जो लोअर मार्केट से आया था उसका नाम था ‘गोर्की का दल’। उसके नेता के पास लाल झंडा था।
गोर्की ने उन बच्चों को देखा और उदास हो गया।
“ये छोटे-छोटे बच्चे टेबलों की लंबी-लंबी कतारों को, जिन पर इनाम की वस्तुएँ सजी थीं और उस विशाल क्रिसमस वृक्ष को, जो खूब ही सजा था और बिजली की रंगीन बत्तियों से जगमगा रहा था, देखकर भौंचक्के से रह गए। वे सभी गोल चक्कर में बैठ गए और शुरू से आखिर तक एक खास तौर से खाँसते रहे। खाँसते समय उनकी आकृति दया के योग्य हो जाती थी जैसे कि कोई थका हुआ वृद्ध खाँस रहा हो। वे चुपचाप शांति से बैठ गए लेकिन उनकी आँखों में उत्सुकता चमक रही थी ! ओह ! वे आँखें कितनी गंभीर थीं ! तुम जानते हो, यह दृश्य आनंद-दायक नहीं था ! जब इन गंदे बच्चों को ये चीजें–एक रोटी, एक पैकेट मिठाई (जो प्राय: डेढ़ पौंड थी), जूते, कमीज, ब्लाउज, टोपी, शॉल–दी गईं तो तुम समझ सकते हो कि कई बच्चे प्रसन्नता के मारे रो पड़े, कई बच्चों ने कोनों में खड़े होकर उन इनामों को छाती से लगा लिया और कई बच्चों ने वहीं बैठकर खाना भी आरंभ कर दिया।”
गोर्की को उसी समय एक नई बात सूझी। कई सचित्र पत्रों के चित्र काटकर देहाती बच्चों के लिए एलबम बनाए गए।
“इन बच्चों ने कभी कुछ नहीं देखा अत: इन एलबमों में वे शहर, नदी और दूर के देशों को देख सकेंगे…वे तरह-तरह के आदमियों को इनमें देखेंगे और जानना चाहेंगे कि इन व्यक्तियों ने कौन से काम किए हैं। समझे…?”
इसके ये अर्थ नहीं कि गोर्की बड़ी उम्र वालों को भूल गया, जिन्हें आम तौर पर वह बोस्यैक्स के नाम से पुकारता था।
एक विशाल खंभों वाली इमारत में, जो सारे शहर में कॉलमहाउस के नाम से विख्यात थी, गोर्की ने बे-घरबार और बेकार लोगों का दिवसीय विश्राम-घर बनाया। वहाँ एक पुस्तकालय और पियानो रखा और उसे इस तरह संगठित किया कि जो बोस्यैक्स वहाँ जाते वह यह महसूस करते कि हम पुन: मनुष्य बन गए हैं।
पुलिस केवल इसलिए ही गोर्की की गतिविधि पर नजर नहीं रखती थी कि वह बच्चों का क्रिसमस दिन मनाता और इनाम बाँटता, या बच्चों को एलबम दिखाता या बे-घरबारों को कॉलम हाउस में सारे दिन समय काटने के साधन जुटाता था। वह कभी-कभी सोरमोवो भी जाया करता था। सोरमोवो निज्नी नोवगोरोड का मजदूरों का क्षेत्र है जहाँ कि बड़े-बड़े उद्योग और योजनाएँ केंद्रित की गई थीं। यहाँ गुप्त बैठकों में लोग सोशल डेमोक्रेटिक पत्र ‘इस्क्रा’ (Iskra) पढ़ने आते थे, जिसमें लेनिन लिखा करता था। पत्र बहुत ही महीन कागज पर इसलिए छपता था कि यदि पुलिस धावा बोल दे तो वह पत्र आसानी से निगला जा सके।
सोरमोवो के मजदूर गोर्की के रात-दिन के मिलने वाले थे। वे लोग गोर्की के पास सलाह लेने, पुस्तकें और चंदा लेने आते थे और गोर्की ये सभी चीजें उन्हें मुफ्त ही दिया करता था।
1901 में गोर्की सैंट पीटर्स वर्ग गया। राजधानी में जब वह ठहरा था तो एक दिन उसने पुलिस को क्रांतिकारी युवकों के प्रदर्शन में बेरहमी से युवकों को लट्ठों से पीटते देखा। उसने सरकार को उस बगावत का पूरा जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर बड़े भयंकर लेख–द्वारा हमला किया। अपनी रचना ‘Song of the stormy petrel’ में, जिसे गोर्की ने इसी घटना से प्रभावित होकर लिखा था, जोर देकर यह कहा है–“तूफान ! तूफान शीघ्र ही आनेवाला है !”
इस गीत की ये पँक्तियाँ सारे देश में दुहराई गईं ।
सेंटपीटर्स बर्ग से लौटते हुए गोर्की गुप्तरीति से अपने साथ ‘मिमियोग्राफ’ मशीन–एक डुप्लीकेटर मशीन जो प्रेस के अभाव में क्रांतिकारियों को पर्चे छापने में उपयोगी हो–ले आया। किंतु किसी तरह इस मशीन को लाने की गंध ‘ओखरैंका’–गुप्तपुलिस को आ गई।
गोर्की राजद्रोह के अपराध में गिरफ्तार किया जाकर निज्नी नोवोगोरोड जेल में टॉवर नं. 1 में बंद किया गया। उसका स्वास्थ्य खराब होने पर भी, वहाँ उसके साथ खतरनाक अपराधी जैसा विशेष असुविधा-जनक व्यवहार किया गया। उसका तमाम पत्र व्यवहार रोक दिया गया।
गोर्की की गिरफ्तारी और जेल में बंद किए जाने के कारण चारों तरफ क्रोधाग्नि भड़क उठी। तमाम रूस ने उसके छुटकारे के लिए आग्रह पूर्वक अनुरोध किया। टालस्टाय भी इस बीमार लेखक के लिए मैदान में उतर आया।
सरकार को जनता की इच्छा के आगे मजबूर होकर झुकना ही पड़ा। गोर्की जेल से मुक्त कर दिया गया किंतु उसके बदले में घर में ही नजरबंद हो गया। यहाँ तक कि उसके रसोई-घर और खास बैठक तक में पुलिस तैनात कर दी गई। एक पुलिस का आदमी तो हमेशा ही उसके अध्ययन-कक्ष में घुस आता और उससे वाद-विवाद करने की चेष्टा भी करता।
अब गोर्की ने फिर अपना कार्य आरंभ कर दिया। अक्सर वह रात को देर तक लिखता रहता। इससे पुलिस का शक और भी बढ़ता जाता था।
पुलिस वालों ने इस पर अपनी रिपोर्ट में लिखा–“वह हमेशा सक्रिय रहता यहाँ तक कि रात को भी कुछ करता रहता है।”
एक दिन अचानक ही गोर्की को रास्ते में बगरोव मिल गया। उसने बड़े गरम होकर गोर्की से कहा–“तुम अपना समय बरबाद कर रहे हो। तुम्हारा काम घटनाओं को लिखने का है, घटनाओं को उत्तेजित करने का नहीं। केवल क्रांति ही इन्हें आगे बढ़ा सकती है।”
बरगोव व्यापारी ने यह गलत नहीं कहा। गोर्की न केवल घटनाओं को लिख ही रहा था वरन् उन्हें उत्तेजित करने में मदद भी दे रहा था। क्रांतिकारियों के साथ के उसके संबंध गहरे हो रहे थे और वह सोरमोवो के मजदूरों को अधिक से अधिक मदद देने लगा था।
पुलिस और ओखरैंका (गुप्त पुलिस) उसे इस कार्य से रोकने में असमर्थ रही।
निज्नी नोवगोरोड के फौजी अफसर ने सैंट पीटर्स वर्ग में इस प्रकार की रिपोर्ट भेजी–“उसका मजदूरों में आम असर खुद ही अपने अत्यंत अवांछित स्वरूप तक पहुँच गया है।”
सरकार ने गोर्की को निज्नी नोवगोरोड से निर्वासित करने का निश्चय किया जिससे कि वह क्रांति से भरे हुए सोरमोवो की पहुँच से बाहर हो जाए। उसे अरजमास जाने का आदेश दिया गया। अरजमास एक निद्रित छोटा-सा कस्बा है जिसमें पुजारी, संकुचित दिल के लोग तथा सेवा-मुक्त सिविल नौकरी पेशा के लोग ही बसे हैं।
गोर्की से इस तरह बदला लिए जाने के कारण लेनिन ने अत्यंत ही आवेशपूर्ण अनुरोध किया। लेनिन ने लिखा था–
“यूरोप के महानतम लेखकों में एक, जिसका एक मात्र हथियार ही वाणी की स्वतंत्रता है, उसको निरंकुश सरकार बिना मुकदमा चलाए ही देश-निकाला दे रही है।”
जेल में जो समय गोर्की ने काटा वह समय उसकी बीमारी बढ़ाने का मुख्य कारण बना। डॉक्टरों ने रिपोर्ट दी कि गोर्की की हालत अत्यंत खराब है और उसे दक्षिण में जाकर अपना इलाज दृढ़ता के साथ कराना चाहिए। टालस्टाय आदि उसके दोस्तों ने उसे अनुरोध किया। साथ ही उन्होंने अधिकारियों पर भी दबाव डलवाया। जिसका परिणाम यह हुआ कि वह कुछ ही महीनों के लिए क्रीमिया भेज दिया गया।
गोर्की जब क्रीमिया के लिए रवाना हुआ तो विदाई का जुलूस एक तूफानी प्रदर्शन हो गया। रेलवे स्टेशन पर रेल के रवाना होने से बहुत पहले ही विद्यार्थियों और मजदूरों का विशाल समुदाय एकत्रित हो गया। भीड़ गोर्की को रेल के डिब्बे तक क्रांतिकारी गीतों द्वारा स्वागत करते हुए ले गई।
ओखरैंडा (गुप्त पुलिस) ने पहिले ही हुक्म दे रखा था कि निश्चित समय के पहले ही गाड़ी रवाना कर दी जावे। गाड़ी की सीढ़ियों पर दो फौजी आदमी तैनात थे।
गाड़ी रवाना होने के समय लोगों ने आवाज लगाई–
“मैक्सिम गोर्की चिरायु हो ! जुल्मों का नाश हो !”
जब गोर्की क्रीमिया में था उसी समय ‘एकेडेमी ऑफ सायंसेज’ वाली मनहूस घटना हुई। यह घटना इस बात का पूरा प्रमाण थी कि रूसी सरकार और उसके अंग–अधिकारी ‘Song of the Stormy Petrel’ के अमर रचनाकार से कितनी नफरत करते हैं।
1902 में ‘एकेडेमी ऑफ सायंसेज’ ने गोर्की को अपना प्रतिष्ठित सदस्य चुना। उस आदमी को इतनी महान इज्जत देना, जो दो बार जेल में रह चुका हो, सरकार और उसके अधिकारियों के क्रोध को अत्यधिक बढ़ाने के लिए यथेष्ठ था। इस मामले की सूचना ज़ार को दी गई। जिस पत्र में गोर्की के सम्मानित किए जाने की सूचना छपी थी उसके हाशिए पर निकोलस द्वितीय ने यह टिप्पणी लिखी थी–“यह कृत्य मौलिकता से बहुत बाहर चला गया है।”
और शिक्षा-मंत्री को ज़ार ने एक पत्र में लिखा–
“…और इस भयानक समय में इस तरह के आदमी को ऐकेडेमी ने चुनने की कृपा की है। मुझे इस कृत्य से सख्त ही नाराजी है।”
ज़ार का यह पत्र गोर्की के उपरोक्त प्रतिष्ठित पद पर किए गए चुनाव को रद्द करने के लिए काफी था। ऐकेडेमी भय से मौन रह गई। विरोध केवल दो व्यक्तियों ने व्यक्त किया–एंटन चेखब और व्लैडीमिर कोरो लैंको। इन दोनों महान साहित्यिकों ने गोर्की की सदस्यता छीन लेने के विरोध में ऐकेडेमी की अपनी प्रतिष्ठित सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। चेखब और व्लैडीमिर ने यह कार्य ज़ार की निरंकुशता के विरोधस्वरूप किया।
(अनुवादक-दीनानाथ व्यास)
Original Image: Portrait of Maxim Gorky
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Akseli Gallen Kallela
Image in Public Domain
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