वजूद
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- 1 August, 2021
वजूद
मैं जब भी मरा तुम्हारे फंदे में फँसकर
तुमने प्रचार किया, मैं बीमार था
घर में रोजाना के झगड़े से परेशान था
तुम्हारे डॉक्टरों ने भी रिपोर्ट दी
कि मैं न कर्ज में डूबकर मरा
न अवसाद से, न जहर से, न भूख से
मेरे पेट में रोटियों के
अधपचे टुकड़े पाए गए
मेरा आखिरी बयान भी तुमने
कभी ठीक से दर्ज नहीं होने दिया
लोगों को बताया गया कि मैं अरसे से
बीमार था, अचानक हालत बिगड़ गयी
और अस्पताल ले जाये जाते हुए
रास्ते में ही दम तोड़ दिया
तुमने बहुत कोशिश की कि मेरी
मौत में कुछ भी असामान्य न लगे
लेकिन मेरे बच्चों ने सुन ली
मेरी आखिरी कराह
वे समझ गये कि
झूठे सपनों में उलझा कर
मेरी हत्या की गयी
पेड़ों की डालों पर,
बिजली के खंभों पर
मिट्टी के घरों की
छतों में लगे बाँसों पर
वर्षों से लटके हुए
सिर मेरे ही हैं
उनसे आज भी
खून टपक रहा है
तुम फंदे बनाने में
बहुत माहिर हो
तुम्हारे पास कानून है,
वर्दियाँ हैं, बंदूकें हैं
लेकिन बच्चे अपने
पुरखों की तरह
बेआवाज नहीं मरना चाहते
उन्हें तुम्हारी मनमानी मंजूर नहीं
कोई और गुस्ताखी करने से
पहले अपने वजूद के बारे में सोचो
सोचो कि कभी-कभी
बहेलिये भी मारे
जाते हैं अपने ही फंदों में फँसकर।
Image: Truth
Image Source: WikiArt
Artist: Mikalojus Konstantinas Ciurlionis
Image in Public Domain