जो पढ़े लिखे विकसित थे

जो पढ़े लिखे विकसित थे

जो पढ़े लिखे विकसित थे
पढ़ रहे थे बर्बरता और
अपराधों के कानून की किताबें
कर रहे थे
हथियारों और बारूदों की जाँच
तलवारों और चाकुओं को तेज
जो हवाईजहाज और रेलें रखते थे
खत्म हो रहा था वक़्त
वे भाग रहे थे
किसी अनजान रास्ते की ओर
जो जंगल से ठीक
उलटी तरफ जाता है

उन्हें वक्त काट रहा था
बड़ी तेजी से
वे घायलों के माफिक पड़े थे
उपेक्षित अपनी ही बनाई हुई
कटीली सड़कों पर जबकि
जंगली और अनपढ़ लोग
बिखेर रहे थे प्रेम
एक विकसित दुनिया से दूर
एक छोटी सी दुनिया में
बाँट रहे थे आपसी सुख और दु:ख
वे समय को काटते नहीं थे
बाँटते थे…!


Image: Portrait of Otto Shmidt
Image Source: WikiArt
Artist: Mikhail Nesterov
Image in Public Domain