कुछ पूजा के आयोजन-सा होने लगता
- 1 April, 2016
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- 1 April, 2016
कुछ पूजा के आयोजन-सा होने लगता
कुछ पूजा के आयोजन-सा होने लगता
जब मेरे मन में प्यार देवता-सा चुप-चुप आने लगता
मन मंदिर होने लगता ऐसा रूपक सजने लगता
जैसे गीत सुनहले पानी में कल-कल कर बहने लगता
जैसे साँझ-घंटियों में स्तुति का बोल टुनकने लगता
जैसे झिर झिर कर वातास कुंज में वस्त्र पहनने लगता
जैसे हीरा-मोती-मूंगा-मानिक-सोना-चाँदी-फूल
जैसे जंगल-जंगल होली गाने लगती उड़ती धूल
मेरे मन में खिलने खुलने लगती मुसकानों की मुट्ठी
मुझ पर झिरते झिरते पात खिलते बच्चे देते मिट्टी
मुझमें घुँघरू बजने लगते मुझमें डैने तुलने लगते
मुझमें नन्हें कोमल साँप सुनहले धीरे पलने लगते
मेरा कस जाता परिवेश गीत का कुंतल वाला देश
त्वरित दो पल में ऐसा लगता अहं समर्पित सारा शेष!
Original Image: The Rising Tide
Image Source: WikiArt
Artist: Felix Vallotton
Image in Public Domain
This is a Modified version of the Original Artwork