हाथ में जब सभी के ही पत्थर रहे

हाथ में जब सभी के ही पत्थर रहे

हाथ में जब सभी के ही पत्थर रहे
किस तरह फिर सलामत कोई सर रहे

तोड़कर सारी दीवारें मैं आ गया
कैद कब तक कोई घर के अंदर रहे

बेअम्ल के लिए कोई तोहफा नहीं
लाख किस्मत का कोई सिकंदर रहे

लाख तुफान उठे कोई गम नहीं
दोस्तों, दिल में हिम्मत जवाँ गर रहे

उसकी बातों में ‘अख्तर’ न आना कभी
आस्तीन में छुपाए जो खंजर रहे।


Image: Disbanded
Image Source: WikiArt
Artist: John Pettie
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नसीम अख्तर द्वारा भी