प्रतिश्रुति
- 1 March, 2015
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/poem-about-lost-love-pratishruti-by-poet-rajyavardhan-nayi-dhara/
- 1 March, 2015
प्रतिश्रुति
हाँ, कहा था तुमको–
मेरा दर खुला है
खुला ही रहेगा
तुम्हारे लिए
तब मालूम नहीं था कि
सप्तपदी में
एक ऐसा भी विधान है
जिसमें पाणिग्रहण से पहले
वर-वधू से
अपने-अपने पूर्व संबंधों को
स्वाहा– कर
कहा जाता है–
‘शुद्ध होने को!!’
मंत्रोच्चार के साथ
जब किया था– स्वाहा
उन संबंधों को
तब एक पल के लिए
काँपा था हाथ
और तुम्हारा चेहरा
आँखों के सामने तैर आया था
प्रतिश्रुति में
करता हूँ संशोधन
प्रिये! हो सके तो माफ करना।
Image: The Open Door
Image Source: WikiArt
Artist: Henri Martin
Image in Public Domain