माँ

माँ

माँ, आसमान के सितारे
समेट ले आती है
स्नेह के धागों के आँचल में,

और साथ-साथ लाती है
दुधिया आकाश लोक
चंदा के आँगन से,

निर्झर हो बढ़ती माँ
धार की अठखेलियाँ हो,
चट्टानों से टकराती
किरणों से अनुबंधित
मोतियों की अनवरत
श्वेत परत होती माँ,

फुहारों से अनुगूंथित
जालों के रश्मिबंध
जीवन के भावों के
मेघखंड होतीं माँ,

सपनों के सावन की
बदली हो
गहराती वह जीवन की
ओर छोर,
उमड़ घुमड़ आती जब
अमृतघर जीवन का
पिला-पिला जाती माँ,

कामधेनु जीवन की
कैनवास होती माँ,
रंगभरी कूचियों में
वरदहस्त होती माँ,

आँखों में उनकी
आकाश समा बैठा है
कल्पतर, होती वह
आँगन में फैली है,

हर शृंगार उनके हैं
झरते अरमानों के
पंखुड़ियाँ सब होठों पर
इंद्रधनुष होती है,
कौंधी मुस्कानों पर
भावों की डोर लिए
कामदेव आते हैं,

माखन घट फूटते
पड़ोसन के
देती है ग्वालिन उलाहना
राधा का मन कमल होता है
पनघट के जीवन की गागरी,

जीवन की राहों की
होती तथागत माँ
दिव्य दृष्टि संजय की
लेती उधार माँ
भरती है मन की सब गागरी,

चाँद को समेटे वह गोद में
चाँदनी के आँचल से ढ़ँकती है,
आँखों के गहराते सावन से
ममता की बारिश में
स्नेह कलश भरती है।


Original Image: Painting My Wife and Daughter
Image Source: WikiArt
Artist: Willard Metcalf WikiArt
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