इन्हीं हाथों से
- 1 April, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-inhin-hathon-se-by-jiyalal-arya/
- 1 April, 2016
इन्हीं हाथों से
बेटी मात्र बेटी ही नहीं होती
माँ-बाप की लाड़ली होती है
परिवार की लालिमा होती है
समाज का मान-सम्मान
और देश की धरोहर होती है।
मुझे भी अवसर दो
पढ़ने और बढ़ने का
सीढ़ियाँ चढ़ने का
एवरेस्ट मापने का
साबित कर दूँगी
मैं आप का खून हूँ
भैया की तरह
मानवता की शान हूँ।
इन्हीं हाथों से
जिनमें तूने चूड़ियाँ पहनाई है
भाई की कलाई में
राखी बाँधूगी
रक्षा का वचन लेकर भाई से
बंदूकें भी उठाऊँगी
बेटा और बेटी की खाई को
सदा के लिए पाट दूँगी।
माँ के दूध की
पिता के प्यार की
घर के लाज की
और देश के
सम्मान की रक्षा करूँगी।
Original Image: Evening Interior
Image Source: WikiArt
Artist: Harriet Backer
Image in Public Domain
This is a Modified version of the Original Artwork