अगर मैं खोया बहुत कुछ तो
- 1 August, 2016
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-about-if-i-lost-a-lot-by-b-r-viplavi/
- 1 August, 2016
अगर मैं खोया बहुत कुछ तो
अगर मैं खोया बहुत कुछ तो बहुत पाया भी
कभी-कभी तो मिला मूल का सवाया भी
डुबो गया जो बचाने के बहाने मुझको
बहादुरी का उसी ने ख़िताब पाया भी
ज़मीर बेचकर कश्कोल[1] का सौदा न किया
इसी फ़कीरी ने ख़ुद्दार यूँ बनाया भी
न अश्क आँख से सूखे न दिल की आह गई
ये मुफ़लिसी ही मैं विरसे में माँ पाया भी
जिसको सींचा था वह इतना बढ़ा कि अब उसका
हुआ है अपनी रसाई[2] से दूर साया भी
ये प्यार आदमो-हव्वा की निशानी ठहरा
इसी ने ‘विप्लवी’ दुनिया हसीं बनाया भी
[1]. भिक्षापात्र
[2]. पहुँच
Image : Head of a Poet Wearing a Cap
Image Source : WikiArt
Artist : Luca Signorelli
Image in Public Domain