आजकल जल्दी ही थक जाते हैं
- 1 February, 2022
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- 1 February, 2022
आजकल जल्दी ही थक जाते हैं
आजकल जल्दी ही
कुछ कदमों पर ही
थकने लगते हैं…
एहसास, जज्बात
संबंध और साथ
किसी अंधी
होड़-दौड़ की
तेज चाल के साथ
नहीं मिल पाती
कदम ताल
तारी होने लगता है अहम
घुसपैठ करने लगता है स्वार्थ
कहीं कुछ अभिप्साएँ
सर उठाने लगती हैं
कहीं कुछ शर्तें
बाँध लेना चाहती हैं
श्रेष्ठता भी
कहाँ छोड़ती है अपनी जमीन?
उसका दंभ
नहीं तजता अपना अधिकार
ये सब मिल कर
घोंटने लगते हैं
रिश्तों का दम
पिंजरे में फड़फड़ाती है
श्वाँस
तब छटपटाकर
कराहते हुए
किसी पल में
छोड़ जाता है साथ
मन में बसा विश्वास
तब दीखता है
फूलों का मुरझाना
चमकते तारों का अवसान
टूटती तार सप्तक पर तान
…बिखर जाते हैं
सारे स्वर
बेसुरा हो जाता है
जीवन राग
और किसी कोने में
अपने मद में चूर खड़ा
अपनी विजय पर
मुस्कुराता है
अभिमान…
Image : Chateaubriand Meditating on the Ruins of Rome
Image Source : WikiArt
Artist : Anne Louis Girodet
Image in Public Domain