मन में संदूक
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-box-in-mind-by-komal/
- 1 February, 2022
मन में संदूक
मैंने मन के कोने में
एक संदूक छिपा रखी है
दिन प्रतिदिन
होती जा रही है
यह और भी भारी
इसमें है कुछ शब्द
जो हर बार कहने पर भी
बात रह जाती है अधूरी
कुछ वाक्य विन्यास
जो बोलने के बाद भी
नहीं जाते हैं सुने
कुछ विशेषण
जिसमें देवत्व का गुण
देने से
नहीं समझा जाता
मुझे मनुष्य
कुछ संज्ञा
जिसमें मिटा दिया जाता है
मेरा नाम
राख कर दी जाती है
बुनियादी अस्मिता
कुछ अलंकार
जहाँ गहनों से सजाकर
दाब दिए जाते हैं
मेरे निर्णय
क्या हो सकूँगी
कभी मैं इसके
भार से मुक्त!
Image :Treasure Chest, c. 1937, NGA 16832
Image Source : WikiArt
Artist : Andrew Topolosky
Image in Public Domain