कब्रगाह में रोने की जगह
- 1 December, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-crypt-in-the-cemetery-by-leeladhar-mandloi/
- 1 December, 2016
कब्रगाह में रोने की जगह
उनके पतियों, जवान बेटों, नातेदारों और
पड़ोसियों की हत्याएँ हुई खुलेआम
घरों के उजड़ने का सिलसिला थमा नहीं
न ही आँसुओं का सैलाब
कर्फ्यू सिर्फ हत्या के इलाकों पर नहीं
वह पशु-पक्षियों को ज़द में
ले चुका है अपनी
कोई और रास्ता शेष नहीं रहा तो
औरतों ने उतार फेंकी मौतमी पोशाकें
पोंछ लिये आँसू एक झटके में
उन्होंने ले ली कमान अपने हाथों में
कब्रगाह में रोने की जगह
अब वे युद्ध के मैदानों में हैं
उनके हाथों में हथियार चमकते रहते हैं
मातम को छोड़कर अब मर्दों की तरह
वे आजादी के सिर्फ
स्वप्न देखती हैं रात-दिन।
Image : The Artist s Sister, Melanie
Image Source : WikiArt
Artist : Egon Schiele
Image in Public Domain