मैं सरकार नहीं हूँ
- 1 December, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-im-not-the-government-by-leeladhar-mandloi/
- 1 December, 2016
मैं सरकार नहीं हूँ
समुद्र फैला है चौतरफ
और मैं बीचों-बीच लिटिल अंदमान में
दूर-दूर तक पानी लेकिन खारा
दूर-दूर तक हवा लेकिन नमकीन
द्वीप में है जो धरती
उसे कितना भी खोदो
निकलता नहीं मीठा जल
बारिश में जो कुछ इक्ट्ठा होता है
सूख जाता बारिश के पहले
तब मैं हो जाता हूँ घुमंतू और
दूर-दूर उगे उन बाँसों को ढूँढ़ता हूँ
जिनमें होता है पानी
न मिले बाँस तो नारियल लिए लौटता हूँ
कर ही लेता हूँ जुगाड़ कुछ-न-कुछ
कोई सरकार इस दर्द को नहीं समझती
मैं अपने परिवार का
दुःख किसी को नहीं बताता
मरा नहीं है मेरी आँखों का पानी
मैं अपना काम आप करता
सदियों से हूँ वहाँ जहाँ कोई सरकार नहीं!
Image : At the seashore
Image Source : WikiArt
Artist :Volodymyr Orlovsky
Image in Public Domain