दूरियाँ
- 1 December, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-distances-by-alka-anupam/
- 1 December, 2016
दूरियाँ
पहाड़ों की बीच
घूमती, नाचती, तैरती
इस पतली सड़क पर
कभी हम चले थे
ले हाथों में हाथ
कदम से कदम मिला
दूर तक जाती हुई
बलखाती, मटकती-सी,
ये सड़क जो कि
हमें वहीं छोड़ देती थी,
एक-दूजे के पास
एक-दूजे के साथ
कोई दूरी-दुविधा
आस-पास भी नहीं थी,
कदमों के निशां शेष थे
दिल पर कोई बोझ नहीं,
हँसते-खेलते हम
मुश्किलों में साथ थे
आज पहाड़ नहीं,
पतली सड़क भी नहीं,
न ही रास्ते लंबे हैं
मुश्किलों का भी सवाल नहीं,
फिर भी दिल दूर-दूर
खींचे-खींचे से हैं;
अब साथ चलने का
बहाना नहीं, इच्छा भी नहीं
पहाड़ों से दूर हम
कंक्रीट के जंगलों में
साथ-साथ अजनबी से
दूर-दूर चले आते हैं;
ताजा हवा हम छोड़ आए
पीछे असली जंगलों में,
नफरत की आँधियाँ
तेज-तेज चलती हैं
उड़ाते हुए हमारी
बची-खुची इनसानियत।
Image : The Hill Path, Ville d Avray
Image Source : WikiArt
Artist : Alfred Sisley
Image in Public Domain