सफेदपोश

सफेदपोश

वह चुनाव में आये परिणाम की तरह
अपने विचार बदलता
जब वृक्ष में आम लटकता
तो आम के गीत गाता,
पपीते के मौसम में पपीते की खूबियाँ समझाता,
जामुन के फलते जामुन के कशीदे पढ़ता
आँख, नाक, मुँह के भूगोल से
बँधी होती उसकी दिनचर्या
उसके तर्क मकड़ी की जाला की तरह
उलझाव पैदा करते,
उसकी आँत में गंगा, यमुना, सरस्वती
विद्यमान रहतीं,
इक्जीट-पोल की तरह वह आधा झूठ
और आधा सच का समन्वय होता
विश्वास नहीं रहने पर भी
राशिफल देखता,
भविष्यवाणियों में सच्चाई ढूँढ़ता,
ईमानदारी के पक्ष में भाषण देता,
घूस उसका जन्मसिद्ध अधिकार होता,
मंगलवार को मंदिर में
अक्सर पूजा-अर्चना करता
जुलूस, प्रदर्शन को बकवास कहता,
अंधड़ देख शुतुरमुर्ग की तरह
बालू में सिर छुपा लेता,
गड़बड़ियों के लिए जनता को
दोषी ठहराता

प्रगतिशीलों को गालियाँ देता,
सोशलिस्टों को कोसता,
देशभक्ति के खूब नारे उछालता,
अपने-आप को दक्षिणपंथी बताता
न वामपंथी,
समय देख गिरगिट की तरह
रंग बदलता,
शुद्ध अवसरवादी होता है सफेदपोश।


Image : A Chameleon
Image Source : WikiArt
Artist : Ustad Mansur
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