रूप चंदनी
- 1 February, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poetry-song-on-roop-chandni-by-radheshyam-bandhu/
- 1 February, 2016
रूप चंदनी
नैन फागुनी
रूप चंदनी, तन सबने देखा
पर मीरा की कवितावज्ञला मन किसने देखा?
कानों में चंदा का कुंडल
पहन चांदनी साड़ी,
तारों वाली ओढ़ ओढ़नी
फिरती महल अटारी।
केश जामुनी
अधर गुलाबी तन सबने देखा
पर मीरा का ममतावला मन किसने देखा?
हरसिंगार की गंध नित्य ही
अगवानी करती,
यौवन की निशिगन्धा निशिदिन
प्रेमपत्र लिखती।
हँसी सेंदुरी
पीत बाव्री, तन सबने देखा
पर मीरा का रमतावलज्ञ मन
किसने देखा?
जब भी महुआ तन से गन्धों
के झरने झरते,
सपनों के टेसूवन मिलनों
के उत्सव रचते।
बैन बाँसुरी
पाँव पाँखुरी, तन सबने देखा
पर मीरा का समतावाला मन किसने देखा?
Image :Portrait of a Woman
Image Source : WikiArt
Artist : Ivan Kramskoy
Image in Public Domain
Note : This is a Modified version of the Original Arwork