क्यों नदियाँ चुप हैं?
- 1 October, 2016
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-kavya-dhara-geet-about-kyon-nadiyan-chup-hain-by-radheshyam-bandhu/
- 1 October, 2016
क्यों नदियाँ चुप हैं?
जब सारा जल
जहर हो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
जब यमुना का
अर्थ खो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
चट्टानों से लड़-लड़कर भी
बढ़ती रही नदी
हर बंजर की प्यास बुझाती
बहती रही नदी।
जब प्यासा हर
घाट से रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
ज्यों-ज्यों शहर अमीर हो रहे
नदियाँ हुई गरीब
जाएँ कहाँ मछलियाँ प्यासी
फेंके जाल नसीब?
जब गंगाजल
गटर ढो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
कैसा जुल्म किया दादी सी
नदियाँ सूख गईं
बेटों की घातों से
गंगामैया रूठ गईं।
जब माझी ही
रेत बो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
जब सारा जल
जहर हो रहा क्यों नदियाँ चुप हैं?
Image :Coastal Landscape with clouds of Moonlight
Image Source : WikiArt
Artist : Knud Baade
Image in Public Domain