मीटर से
- 1 October, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-kavya-dhara-geet-about-mitar-se-by-bhola-pundit-pranayi/
- 1 October, 2016
मीटर से
लाँघी है
अपरिमित दूरी
तुम माप नहीं
सकते मीटर से।
खुले गगन में
तौल-तौल के
फैलाये हैं डैने
लेकिन अंतर
रहा प्रवाहित
तट तोड़े हैं कितने
रही पपीहे-सी रट
हरदम
टूट गया भीतर से।
जहाँ-जहाँ मैं
गया लोभ वश
नहीं लौट कर आया
उलझ गया जीवन
साँसों में
बार-बार पछताया
अब तो प्यास
बुझानी होगी
अपने ही सीकर से।
सदा स्नेह-शृंगार
सजा
धरती का मुँह चमकाया
तिमिर भगाने
किरण-किरण बन
सूरज-सा धमकाया
खुश किश्मत हूँ
आज बुलावा
आया है पीहर से।
Image :Demosthenes Practicing Oratory
Image Source : WikiArt
Artist : Jean Lecomte du Nouÿ
Image in Public Domain