वो चाहता रहा जो कुछ कभी उसे मिला नहीं

वो चाहता रहा जो कुछ कभी उसे मिला नहीं

वो चाहता रहा जो कुछ कभी उसे मिला नहीं
ऐ जिंदगी मगर रहा उसे कोई गिला नहीं
कभी यहाँ, कभी वहाँ नसीब ले गया उसे
किसी जगह पे बन सका हाँ कोई सिलसिला नहीं
बहार बाँटती रही न जाने क्या क्या बाग को
ये फूल है जो शूल से गिरा रहा खिला नहीं
जो फट गया समय की मार से किसी मुकाम पे
वो दर्द से भरा जिगर का पट कभी सिला नहीं
कहाँ वो जाए छोड़ कर नहर का साथ बू भरा
न घर कोई, न दर कोई, है कोई भी जिला नहीं।


Image: The Last Day of a Condemned Man
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Mihaly Munkacsy
Image in Public Domain

रामदरश मिश्र द्वारा भी