पराये परों से है उड़ने की आदत

पराये परों से है उड़ने की आदत

पराये परों से है उड़ने की आदत
अलग मंजिलों की जिन्हें है जरूरत

बिखरते हुए जर्द पत्तों से पूछो
है ये धूप की या हवा की शरारत

उजाले कहें कुछ जरूरत नहीं थी
किरण ने अँधेरों से खुद की बगावत

नहीं दर्द की है दवा बाद इसके
चलो आजमाते हैं अपनी मुहब्बत

सजा देने वाला खता तो समझता
न फिर इस भरोसे की होती फजीहत


Image : Not at Home
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Artist : Eastman Johnson
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