गढ़ता है सब निर्विकार-सा

गढ़ता है सब निर्विकार-सा

गढ़ता है सब निर्विकार-सा
कोई तो है ही कुम्हार-सा

वर्ना जिह्वा मौन धार ले
शब्द झरे तो हरसिंगार-सा

दुख में होता है उदास मन
सुख में बज उठता सितार-सा

होना ही उसको विलीन है
जो कुछ भी है अंधकार-सा

दुख को भी जाना है एक दिन
दुख तो है बहती बयार-सा

सारी साँसें हैं उधार की
पूरा जीवन ही उधार-सा


Image : Latgal Girls
Image Source : WikiArt
Artist : Nikolay Bogdanov Belsky
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