बदल रहे हैं यहाँ सब रिवाज क्या होगा

बदल रहे हैं यहाँ सब रिवाज क्या होगा

बदल रहे हैं यहाँ सब रिवाज क्या होगा
मुझे ये फिक्र है कल का समाज क्या होगा

लहू तो कम है मगर रक्त चाप भारी है
अब ऐसे रोग का आखिर इलाज क्या होगा

दिलो-दिमाग के बीमार हैं जहाँ देखो
मैं सोचता हूँ यहाँ रामराज क्या होगा

न सुर समझते हैं ये और न ताल की संगत
यमन सुनाओ इन्हें या खमाज क्या होगा

हर एक सिम्त हैं दहशत के खौफ चेहरों पर
हर एक शख्स सवाली है, आज क्या होगा

बदल रहे हैं जुबानो-बयान के तेवर
अब आने वाली गजल का मिजाज क्या होगा।


Image : Charles le Coeur
Image Source : WikiArt
Artist : Pierre-Auguste Renoir
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अशोक मिजाज द्वारा भी