आँख में आँसू लब पे तेरा नाम आया

आँख में आँसू लब पे तेरा नाम आया

आँख में आँसू लब पे तेरा नाम आया
जज्बे में सच कहने का इल्जाम आया

थे जिसके बीमार हजारों सितमजदा
वही मसीहा बीमारों के काम आया

इंतजार में बैठे तो ये हाथ लगा
आँखों में नींदें ख्वाबों में जाम आया

दिन काटा दुनियादारी में शामे-गम
सुबह का भूला लौटा तो आराम आया

साकी करना माफ ‘विप्लवी’ को अब के
चलतें हैं देखा उसका पैगाम आया

कोई तरकीब कारगर न हुई
मुझ पे उस शोख की नजर न हुई

दिल ने चाहा दिमाग ने रोका
वो उठा पहलू से खबर न हुई

यूँ भी आँखों ने किया है धोखा
दिन गया नींद में सहर न हुई

है गजल चीज क्या जमीर बिके
लोग खुद भी बिके गुजर न हुई

मर गए कितने गजल-गो भूखे
जिंदगी ‘विप्लीवी’ ये सर न हुई।


Image : Soldat Convalescent Assis
Image Source : WikiArt
Artist : Theophile Steinlen
Image in Public Domain

बी.आर. विप्लवी द्वारा भी