तुमको इस दुनिया ने अब तक

तुमको इस दुनिया ने अब तक

तुमको इस दुनिया ने अब तक है दिया कुछ भी नहीं
और तुम निकले भी ऐसे कि लिया कुछ भी नहीं

जिंदगी माँगी है तो कैसे नहीं रोओगे
जुर्म ये इतना बड़ा है कि सजा कुछ भी नहीं

जिसको खुद पे न भरोसा हो न औरों पर ही
ऐसे लोग दुनिया में जी के भी जिया कुछ भी नहीं

ऐसी जगहों में चला जाता हूँ अक्सर ही मैं
बारी आती जो मेरी–देखूँ, बचा कुछ भी नहीं

लोग आए थे बहुत गुस्से में भाषण भी हुए, मंच जमे
फिर गए घर को सभी और हुआ कुछ भी नहीं

तू ही बढ़ कर तो दिखा दुनिया को जहाँआरा
अगर तू कहता है दुनिया में खुदा कुछ भी नहीं

एक उम्मीद मेरी मुझको रवां रखती है
मैं वहाँ जाता जहाँ-उसका पता कुछ भी नहीं

जख्म यारों के सहे यारों पे मरना सीखा
और अमरेंद्र ने दुनिया में किया कुछ भी नहीं।


Image : Veneentervaaja Ii
Image Source : WikiArt
Artist : Pekka Halonen
Image in Public Domain

अमरेंद्र द्वारा भी