किस बात की अकड़ है

किस बात की अकड़ है

किस बात की अकड़ है, किस बात पर तना है
माटी है मोल तेरा, माटी से तू बना है

उसका मिजाज सारी दुनिया से है अजूबा
रूठा तो ऐसे रूठा, मुश्किल से वो मना है

बच्चों को पाल लेना, उनके लिए तो मक्खन
हम जैसे मुफलिसों को, लोहे का ये चना है

इस दौर में कहाँ हैं, आसानियाँ मयस्सर
जीवन तो अपना जैसे, मृत्यु का सामना है

दिन अपना काटता है, जो बाप के सहारे
शायद ये जानता है, बरगद बहुत घना है

इन मुश्किलों को हल हम, मिलकर चलो निकालें
मुझमें भी कुछ अकड़ है, तुझमें भी कुछ अना है

किस सोच में पड़ा है, उसके लिए ‘कुमार’ अब
इस बार दामन उसका, तो खून से सना है।


Image : Self portrait
Image Source : WikiArt
Artist : Pekka Halonen
Image in Public Domain