जीवन एक वचन में मुश्किल है

जीवन एक वचन में मुश्किल है

जीवन एक वचन में मुश्किल है बाबा
इतने थोड़े धन में? मुश्किल है बाबा

पितृपक्ष खरमास अशुभ की भेंट हुए
शुभ हो पाए लगन में मुश्किल है बाबा

ढिबरी की लौ में संभव है पक जाए
खिचड़ी मन ही मन में, मुश्किल है बाबा

पानी ज्यादा हो तो मांड़ पसा लेंगे
कविता कम अदहन में मुश्किल है बाबा

इस सावन तो फिर भी सड़कें भींग गईं
पर अगले सावन में, मुश्किल है बाबा

सोने का मृग काठ का वन सीता सा मन
कंकरीट के वन में मुश्किल है बाबा

गजलों में वो लहजा, स्वाद गजलियत का!
हिंदी के कानन में मुश्किल है बाबा।


Image : Pierre Joseph Proudhon and his children in 1853
Image Source : WikiArt
Artist : Gustave Courbet
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देवेंद्र आर्य द्वारा भी