ओसारे में किसी कोने सजा कर

ओसारे में किसी कोने सजा कर

ओसारे में किसी कोने सजा कर
मुझे रक्खा है घर ने हाशिये पर

तो इसमें दोष मेरा क्या है गुरुवर!
मुझे दी ही गई थी मैली चादर

मेरा अपराध है ऋषियों से पंगा
मैं कलियुग ही रहूँगा हो के द्वापर

सियासी रोटियाँ मजहब का सालन
हैं किन के वास्ते सोचो बिरादर

है क्या अब भी किसी को इस पे शुबहा
हमारे पूर्वज सचमुच थे बंदर!


Image : Fomushka owl
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Perov
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देवेंद्र आर्य द्वारा भी