वक्त की बदली हुई तासीर है
- 1 April, 2022
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-about-vakt-kee-badalee-huee-taaseer-hai-by-mahesh-katare-sugam-nayi-dhara/
- 1 April, 2022
वक्त की बदली हुई तासीर है
वक्त की बदली हुई तासीर है
मुँह पै ताले, पाँव में जंजीर है
झूठ, सच में फर्क मुश्किल हो गया
किस तरह उलझी हुई तकरीर है
दर्द फैलाया दवाओं की तरह
कौन सी राहत की ये तदवीर है
रंग फीके हैं मगर चुभते हुए
ये सियासत की नई तस्वीर है
नफरतों पर नफरतों पर नफरतें
नफरतों की उठ गई प्राचीर है
धुँध का पुरजोर अँधा अनुकरण
रौशनी की अब यही तकदीर है
तुम हविस में मार मत डालो मुझे
खेत हूँ मैं प्यार से पालो मुझे
मुझको समझो इक जरूरत की तरह
मत सवालों की तरह टालो मुझे
साँस मत रोको मेरी सीमेंट से
इस तरह मत कत्ल कर डालो मुझे
प्यास का मेरी करो कुछ इंतजाम
बीज बो समृद्धि में ढालो मुझे
याद आऊँगा किसी दिन मैं तुम्हें
जितना चाहो आज तड़पा लो मुझे।
Image : The Beet Harvest
Image Source : WikiArt
Artist : Józef Chełmoński
Image in Public Domain