मौसमों की मार की शिद्दत

मौसमों की मार की शिद्दत

मौसमों की मार की शिद्दत भुला कर उड़ गया
इक परिंदा हौसलों के पर लगा कर उड़ गया

चाँदनी ने दिल टटोला हो गया उसको यकीं
बादलों के रथ पे चंदा दिल चुराकर उड़ गया

दुख का बादल सर पे मँडराता रहा हर पल मगर
सुख का बादल एक पल को पास आकर उड़ गया

एक खत लाया कबूतर उनका जो मेरे लिए
चोंच में अपनी उसी खत को दबा कर उड़ गया

मुद्दतों से था परिंदा एक ओझल कैद में
एक दिन सब चाहतों का पार पा कर उड़ गया

दे गया भटके मुसाफिर को किरण उम्मीद की
एक जुगनू तीरगी में टिमटिमा कर उड़ गया।


Image : In the Garden
Image Source : WikiArt
Artist : Childe Hassam
Image in Public Domain

आराधना प्रसाद द्वारा भी