आदमी का जब सफर तनहा

आदमी का जब सफर तनहा

आदमी का जब सफर तन्हा हुआ है
रास्ता उसके लिए लंबा हुआ है

खेलता है वो मेरे जज्बात से अब
दिल मेरा उसके लिए ‘कोठा’ हुआ है

यह जरूरी तो नहीं मैला ही होगा
कीच के जो गर्भ से पैदा हुआ है

अब कहाँ सरकार आएगी दुबारा
क्रोध जन का फूटकर लावा हुआ है

वो वसूलेंगे फिरौती मौत से भी
याद में औरों की जो जिंदा हुआ है।


Image :  Noon
Image Source : WikiArt
Artist : George Henry
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राहुल शिवाय द्वारा भी