राम को रक्खा है मैंने

राम को रक्खा है मैंने

राम को रक्खा है मैंने अब तलक ईमान में
कश्ती के पतवार हैं वे, आँधी और तूफान में

हो रहा है सबका स्वागत अपने हिंदुस्तान में
देखता है ईश को जो अपने हर मेहमान में

जो भी गिनती कर रहे हैं बेटी की संतान में
मैं उन्हें ही गिन रहा हूँ आजकल इनसान में

काँटों से लदकर हरा रहना कहाँ आसान है
जी रहा है कैक्टस हँस-हँस के रेगिस्तान में

कुछ न कुछ अंतर तुम्हें दिख जाएगा संबंध में
अपने मन के क्रोध को बदलो जरा मुस्कान में

चाहतों में भर उड़ानें, खोल दो हर द्वार तुम
आस्था रक्खोगे कब तक सिर्फ रोशनदान में।


Image : Cactus Man
Image Source : WikiArt
Artist : Odilon Redon
Image in Public Domain

राहुल शिवाय द्वारा भी