जुल्म ऐसे कि वो ढाते हुए थक जाते हैं
- 1 April, 2022
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-about-julm-aise-ki-vo-dhaate-hue-thak-jaate-hain-by-madhuri-swarnkar-nayi-dhara/
- 1 April, 2022
जुल्म ऐसे कि वो ढाते हुए थक जाते हैं
जुल्म ऐसे कि वो ढाते हुए थक जाते हैं
और हम खुद को बचाते हुए थक जाते हैं
क्या मनाएँगे किसी गैर की रूठी किस्मत
वो जो खुद ही को मनाते हुए थक जाते हैं
अपने अहसान गिनाते हुए थकते ही नहीं
वो जो अफसोस जताते हुए थक जाते हैं
वो कशिश उनमें है, जब सामने होते हैं हम
अपने अरमान छुपाते हुए थक जाते हैं
क्यों बरस पड़ते हैं बादल न ये पूछो लोगो
ये भी रिश्तों को निभाते हुए थक जाते हैं।
Image : Surveying the Vista
Image Source : WikiArt
Artist : Anders Zorn
Image in Public Domain