दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था
तुम्हारे घर का सफर इस कदर सख्त न था।

इतने मसरूफ थे हम जाने के तैयारी में,
खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था।

मैं जिस की खोज में ख़ुद खो गया था मेले में,
कहीं वो मेरा ही एहसास तो कमबख्त न था।

जो ज़ुल्म सह के भी चुप रह गया न खौल उठा,
वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था।

उन्हीं फकीरों ने इतिहास बनाया है यहाँ,
जिन पे इतिहास को लिखने के लिए वक्त न था।

शराब कर के पिया उस ने जहर जीवन भर,
हमारे शहर में ‘नीरज’ सा कोई मस्त न था।


Image : Lonely stranger
Image Source : WikiArt
Artist : Nicholas Roerich
Image in Public Domain