फूल को खार बनाने पे तुली है दुनिया

फूल को खार बनाने पे तुली है दुनिया

फूल को खार बनाने पे तुली है दुनिया
सब को अँगार बनाने पे तुली है दुनिया

मैं महकती हुई मिट्टी हूँ किसी आँगन की
मुझ को दीवार बनाने पे तुली है दुनिया

हम ने लोहे को गला कर जो खिलौने ढाले
उन को हथियार बनाने पे तुली है दुनिया

जिन पे लफ्जों की नुमाइश के सिवा कुछ भी नहीं
उन को फनकार बनाने पे तुली है दुनिया

नन्हे बच्चों से कुँवर छीन के भूला बचपन
उन को होशियार बनाने पे तुली है दुनिया।


Image: An October Morning
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Walter Osborne
Image in Public Domain

कुँवर बेचैन द्वारा भी