चाहे कुछ भी करो

चाहे कुछ भी करो

चाहे कुछ भी करो, नहीं आती
शर्म इनसान को नहीं आती

रात आधी गुजर चुकी लेकिन
मैं बुलाता हूँ, वो नहीं आती

मुझपे दीवानगी का है इल्जाम
नींद तुमको भी तो नहीं आती

दिल ये जाता है, लौट आता है
जां चली जाए जो, नहीं आती

इश्क तो है, मगर है मजबूरी
लॉक डाउन है, सो नहीं आती

ये मुहब्बत सभी के हिस्से में
सर पटकते रहो, नहीं आती।


Image : Louison and Raminou
Image Source : WikiArt
Artist :Suzanne Valadon
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समीर परिमल द्वारा भी