कहीं खोया हूँ मैं

कहीं खोया हूँ मैं

कहीं खोया हूँ मैं, तू गुम कहीं है
ये मंजर आज भी कितना हसीं है

मुहब्बत आपसे करने की खातिर
जरूरत आपकी मुझको नहीं है

निकल कर आपकी बाहों से पाया
मेरे कदमों तले भी इक जमीं है

यकीं पहले भी था बद-किस्मती पर
यकीं पर आज भी अपने यकीं है

मेरे अश्आर देते हैं गवाही
कोई गम यार का पहलूनशीं है।


Image : Portrait of a girl, Mademoiselle Renee Terrasse
Image Source : WikiArt
Artist :Pierre Bonnard
Image in Public Domain

समीर परिमल द्वारा भी