योद्धा
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-warrior-by-chitralekha-nayi-dhara/
- 1 October, 2020
योद्धा
जब-जब मानव पर
छा जाते हैं संकट के बादल
हूंकार करता हुआ
अपना विकराल रूप
दिखलाता–
करता प्रहार
तो, बारिश की बूँदों सा
कर्म रत हो जाते हैं ये–
डॉक्टर्स, नर्सेस, पुलिस
नहीं परवाह करते ये
अपने जान की।
विश्व युद्ध हो,
अकाल या महामारी!
जब थाली में खाने का कौर
निवाला बनकर जाता है अंदर
तो, दीख पड़ते हैं
भूखे-प्यासे
पसीने से तर-बतर
फसल उगाते किसान।
ताकि, गोदाम खाली ना हो,
मानव–
मानव की हड्डियों से मांस नोचकर
भूख के कारण विक्षिप्तता के
कगार पर पहुँचकर
उसे चबाने ना लगें।
दीख पड़ते हैं
करोड़ों-करोड़ बाँहों वाले
मजदूर
जिनके खून और पसीने से
बनी खड़ी इमारतों
में लोग होते हैं
‘लॉकडाउन’
और, क्वारंटाईन।
Image : Building the Winter Studio. Ekely
Image Source : WikiArt
Artist : Edvard Munch
Image in Public Domain