मसीहा मुस्कुराता है

मसीहा मुस्कुराता है

मेरी चारों ओर शिविर लगे हुए हैं
जहाँ नई-नई तालिमें दी जा रही हैं
दिशाओं में शोर है–
इतिहास बदला जा रहा है
पलित मूल्यों के पाए ढाए जा रहे हैं
कोई अवतार या मसीहा जन्म ले रहा है
मैं एक अदना आदमी की हैसियत से
शिविर को देख रहा हूँ
ग्लोब पर खड़ा होकर
भूगोल को देख रहा हूँ
जब कभी मेरी अतड़ियों के एठन से
आह और कराह निकली है
तभी मेरी कौम की बस्तियों में
फुफकार के अपराध में
आग लगती रही है
मसीहा मुस्कुराता रहा है
और लोग तमाशा की तरह
देखते रहे हैं
और मैं
चौराहे पर खड़ा होकर
अपनी जमात की तलाश
हाँ, कर रहा हूँ तलाश!


Image : Portrait of Pierre de Beffremont
Image Source : WikiArt
Artist : Rogier van der Weyden
Image in Public Domain

बाबूलाल मधुकर द्वारा भी