ख़िजाँ के आते ही

ख़िजाँ के आते ही

ख़िजाँ के आते ही पत्तों ने साथ छोड़ दिया
बुज़ुर्ग बाप का बच्चों ने साथ छोड़ दिया

ख़ुदा का शुक्र है ज़िंदा हैं हम अभी वरना
बहुत से यारों का साँसों ने साथ छोड़ दिया

नए ख़यालों ने घर कर लिया है अब दिल में
पुराने पड़ चुके ख्वाबों ने साथ छोड़ दिया

नज़र में रहता है दो गज़ ज़मीन का तलघर
हमारे ख्वाबों के महलों ने साथ छोड़ दिया

मिज़ाज, किस से शिकायत करें, गिला किस से
बहुत से चाहने वालों ने साथ छोड़ दिया।


Image : Portrait of Victor Chocquet
Image Source : WikiArt
Artist : Pierre-Auguste Renoir
Image in Public Domain