रहने को ख़ुशी आई थी
- 1 June, 2023
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-about-was-happy-to-stay-by-ramdarsh-mishra/
- 1 June, 2023
रहने को ख़ुशी आई थी
रहने को ख़ुशी आई थी मेहमान हो गई
दो दिन ही सही मुझ पे मेहरबान हो गई
भगवान तो हँसते हैं खुले खेत में, दिल में
मंदिर में बंद मूर्ति लो भगवान हो गई
इनसानियत थी भेजी गई आदमी के साथ
पर रफ्ता रफ्ता हाय वो शैतान हो गई
जिस ज़िंदगी में एक धड़कता सा दर्द था
वह ज़िंदगी बाज़ार का सामान हो गई
दुनिया में हम आते हैं तो होती है एक जाति
आकर के यहाँ हिंदू-मुसलमान हो गई।