सख्त रास्ते हैं मगर चल रही है

सख्त रास्ते हैं मगर चल रही है

सख्त रास्ते हैं मगर चल रही है ज़िंदगी
बार-बार गिर रही, सँभल रही है ज़िंदगी

हँस रही है फूल अगर हँस रहे हैं राह में
कंटकों के बीच भी मचल रही है ज़िंदगी

अंधकार में कभी तो ख़ुद को खोजती सी है
औ कभी चिराग़ बन के जल रही है ज़िंदगी

चाँदनी में बैठ के कभी वो रही गुनगुना
मोरचे को भोर में निकल रही है ज़िंदगी

जी रही है किंतु कोई तो मरी-मरी सी है
मर के कोई मौत को कुचल रही है ज़िंदगी।


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Image Source : WikiArt
Artist : Ferdynand Ruszczyc
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रामदरश मिश्र द्वारा भी