सीढ़ियाँ

सीढ़ियाँ

सीढ़ियाँ रही हैं घर में शुरू से
सीढ़ियों का रिश्ता है घर से शुरू से
सीढ़ियाँ रही हैं जैसे रही हैं पीढ़ियाँ
सीढ़ियाँ रही हैं जैसे रही हैं नाड़ियाँ शरीर में
दादा के पास थी लकड़ी की सीढ़ी
जिस पर चढ़कर वे जाते थे
कवेलू फेरने बारिश से पहले
दादी पूछती थी क्या सब्जी बनेगी आज
घर में तो कोई सब्जी नहीं है
तो दादा उस सीढ़ी पर चढ़कर जाते थे छत पर
जहाँ से वे बड़े-बड़े कद्दू उतार लाते थे।
मैं जान नहीं पाता था रात को कौन आकर छत पर उनको रख जाता था?
सीढ़ियों पर चढ़कर जाता था मोर को देखने
जामुन पर चढ़ने के लिए भी वो काम आती थी।
नाना अक्सर उस सीढ़ी से चढ़ते थे झंडा फहराने
पर कभी-कभी कुएँ की
सफाई करने उतरते भी थे उससे
दादा और नाना सोने की
सीढ़ियों का सपना देखते थे
और स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने वाले रावण की कहानियाँ सुनाते थे
सीढ़ियाँ रही हैं दादा के घर में
सीढ़ियाँ रही हैं दादी के घर में
सीढ़ियाँ रही हैं नाना के घर में
सीढ़ियाँ रही हैं नानी के घर में
लकड़ी की सीढ़ी चली गई दादा दादी नाना नानी के साथ
लोहे की सीढ़ी आ गई मामा मामी चाचा चाची के पास
मेरे पास कोई सीढ़ी नहीं
जिससे मैं उम्र की सीढ़ियाँ चढूँ या उतरूँ
एक कुएँ के अँधेरे में उतरना है
अब बगैर सीढ़ी के
वहाँ से वापस नहीं लौटा जा सकता
क्योंकि सीढ़ी नहीं है।
राजधानी में नहीं रहती सीढ़ियाँ घरों में
कभी-कभी चलती फिरती
दिख जाती है
कहीं पुताई के लिए जाती हुई
या कहीं आग बुझाने के लिए जाती हुई
कहीं-कहीं राजमार्गों पर भी दिख जाती हैं वे
जब कोई बल्ब बदलना होता है
राजधानी में गाड़ियाँ ढोती हैं सीढ़ियों को
कभी-कभी किसी बनते मकान में
मजदूर इस्तेमाल करते हैं सीढ़ी
सीढ़ी और बीड़ी मजदूर के ही काम आती है
कभी किसी नाटक में मंच पर
दिख जाती है कोई सीढ़ी
अभिनेता जिससे कई तरह के काम लेते हैं
बैठते हैं दौड़ते हैं खड़े हो जाते हैं उस पर
लुकाछिपी का खेल खेलते हैं प्रेमी
कभी वह पेड हो जाती है
और रेल बस की सीट भी।
सफाई वाले आते हैं हमारे घरों में
सीढ़ियाँ लेकर
सोचता हूँ उनसे ले लूँ सीढ़ी
कुछ देर उस पर चढूँ उतरूँ इतराऊँ।


Image : Staircase in Capri
Image Source : WikiArt
Artist : John Singer Sargent
Image in Public Domain