वापसी

वापसी

कौए लौट आए हैं
कौओं की बोली से गूँजने लगा है
फिर से घर आँगन।
कौओं ने की है वापसी की अपनी यात्रा
काल-प्रवाह के विरुद्ध वे लड़कर लौटे हैं
वे जीत कर लौटे हैं।
उनकी बोली में विजय घोष है
उन्होंने जीत ली है
आधुनिकता और विकास के
विनाशी तंतुओं से बुने जालों से लड़ाई
तोड़ दिया है मौत के
चक्रव्यूह का सातवाँ द्वार
जिस तरह से कौए लौटे हैं
एक दिन उसी तरह से लौट आएगी
शायद नन्ही गोरैया भी…
और एक दिन इसी तरह
मजहबों के भयहेतुक
बंधनों से निकल लौट आएगी मानवता भी
हमारे घर आँगन में प्रेम का विजय घोष करने
कौए पुरोधा हैं
जिजीविषा में मनुष्यों के सगे…।


Image : Boy with a Crow
Image Source : WikiArt
Artist : Akseli Gallen-Kallela
Image in Public Domain

नीरज नीर द्वारा भी