पेशमेगा
- 1 December, 2020
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- 1 December, 2020
पेशमेगा
(वे लोग जो मौत का सामना करते हैं)
गले में फारावार की माला पहन कर
एक कबीलाई संस्कृति से आया
कुर्द बालक आज पारसी बन गया
दर-ए-मेहर पर रखी है
बबूल और चंदन की कुछ टहनियाँ
एक आग जल रही है अनवरत
बहुत भीतर
उतनी ही प्राचीन जितनी उद्वदा
की सदियों से जल रही पवित्र आग
जरथुष्ट धर्मग्रंथ अवेस्ता से कुछ
छंदों के पाठ के बाद
उसकी कलाई पर बाँध दिया गया
तीन गाँठों वाला धागा
अच्छे शब्द
अच्छे विचार
अच्छे काम
ईरान में रहने वाला
सईद कल तक कुर्द था
लोग कहते हैं कि
वह अब पारसी हो गया
यह झूठ है
वह जो था अब भी वही है
कल भी उसकी आँखें
जुगनू-सी भुकभुकाती थी
आज भी उसके सपनों में
दो नन्हे-नन्हे पंख लगे हैं
धर्म स्वप्न बदलता है न
मन की इच्छाओं का रंग ही
फ्रेडी मर्क्यूरी के गानों को
वह गौर से सुनता है
उसके गले से बह रही
कलकल साफ मीठी नदी है
गायक के हाथ में
गिटार नहीं हरा पेड़ है
और वह माइक नहीं
झरने के सम्मुख गा रहा है
उसे और श्रोताओं की जरूरत नहीं है
क्योंकि पूरा जंगल उसका श्रोता है
वह नन्हा बच्चा
नन्हे ख्वाब देखता है
वह युद्ध से दूर और प्रकृति के
पास रखना चाहता है
अपनी उदास और फटी किताबों को
वह कई जन्म से मारा जा रहा है
उसका जीवन युद्ध भूमि का खिलौना
जो हर बार खेल-खेल में गया उड़ाया।
Image : Self portrait
Image Source : WikiArt
Artist : Mykola Yaroshenko
Image in Public Domain