जब से है एक चाँद

जब से है एक चाँद

जब से है एक चाँद घटा में छुपा हुआ
तब से है जुगनुओं का तमाशा लगा हुआ

हिस्सा था एक भीड़ का कल तक जो आदमी
रहता है अब हरेक से तन्हा कटा हुआ

शीशे में दिल के कोई तो उतरा जरूर था
एक अक्स आइने में है अब तक जड़ा हुआ

पड़ते हैं पाँव राम के किस रोज देखिए
मुद्दत से खुद में है कोई पत्थर बना हुआ

आँखों को है तलाश किसी ऐसे ख्वाब की
जो ख्वाब हो मगर हो जमीं पर टिका हुआ।


Image : Portrait of the painter Ivan Shishkin
Image Source : WikiArt
Artist : Ivan Kramskoy
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