रोटी देता खेत है
- 1 December, 2023
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-on-roti-deta-khet-hai-by-buddhinath-mishra/
- 1 December, 2023
रोटी देता खेत है
सड़कें लाती हैं विकास, पर
रोटी देता खेत है
बिना खेत के महल-अटारी
धूप चमकती रेत है।
झूठी शानो-शौकत लेकर
साहब बड़े तबाह हैं
कोरोना के एक डोज में
रंक हो गए शाह हैं
जिनके पाँव नहीं पड़ते थे
कभी जमीं पर भूल से
उनकी पीठ कहे, कैसे
पड़ती कुदरत की बेंत है।
मुट्ठी भर की आवश्यकता
चुटकी भर सिंदूर-सी
इतने भर के लिए जिंदगी
कितनी है मजबूर-सी
पेट अकेला नहीं, बीच में
नाभि चेतना की वापी
जीवन की पहली सूची में
रोटी कमल समेत है।
घर बैठो, घरवालों के सँग
बातें कर लो प्यार से
प्रीत लगा लो चाहे जितनी
निभती है दो-चार से
उड़ लो नभ में किंतु करोगे
रैन बसेरा डाल पर
मन की शांति और अपनापन
देता यही निकेत है।